इंद्रपुरी बराज से खरीफ फसलों के लिए सोमवार की देर शाम नहरों में पानी छोड़ा गया. बराज से पहले पश्चिमी संयोजक नहर में 1606 एवं पूर्वी संयोजक नहर में 115 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. वहीं बराज में पानी का लेवल मेंटेन रखते हुए 7000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. बराज पर अभी धान का बिचड़ा डालने को ले किसानों की मांग के अनुसार नहरों में आपूर्ति के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है. हालांकि हाल के कुछ वर्षों से बराज में सिल्ट भर जाने के चलते सोन कमांड क्षेत्र के आठ जिलों की सिंचाई व्यवस्था रिहंद व बाणसागर जलाशय पर निर्भर होती जा रही है.
नहरों में पानी की आपूर्ति नहीं होने से भीषण गर्मी के मौसम में सोन कमांड एरिया के आठ जिलों रोहतास औरंगाबाद ,अरवल ,भोजपुर, कैमूर, बक्सर, जहानाबाद व पटना के कई गांवों में जल संकट गहरा जाता है. बराज के पूर्वी संयोजक नहर से पटना व मगध प्रमंडल के औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद एवं पश्चिमी संयोजक नहर से पुराने शाहबाद के चारों जिलों में पानी की आपूर्ति होती है. पिछले कुछ वर्षों से रबी फसलों का पटवन बंद होने के बाद नहरों के आसपास के गांवों में जल स्तर गिरने से पेयजल संकट उत्पन्न हो जाता है. पुराने शाहाबाद के चारों जिलों में लगभग 700 किमी लंबी मेन कैनाल के अलावा शाखा नहरों व वितरणियों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती है.
बता दें कि रोहिणी नक्षत्र चढ़ते ही किसान खरीफ फसल के लिए बिचड़ा डालने को ले सोन नहरों में पानी की आपूर्ति को आस लगाए रहते हैं. पानी की आपूर्ति होने से खेतों में बिचड़ा डालने का कार्य प्रारंभ हो जाता है. वहीं जलस्तर बढ़ने से पेयजल संकट से भी मुक्ति मिलती है. खरीफ फसल के लिए बराज से अभी कम मात्रा में ही पानी छोड़ा गया है. गर्मी के चलते तटबंधों की मिट्टी सख्त हो जाने व उसमें उभरे दरार के चलते नहर टूटने की आशंका से पानी कम छोड़ा जाता है. दरार भर जाने के बाद धीरे-धीरे पानी की मात्रा बढ़ाई जाएगी. बराज पर पोंड लेवल 355 रखने के बाद अतिरिक्त पानी को सोन नदी में बहा दिया जाता है. खरीफ फसलों की सिचाई के लिए नहरों में पहले कम पानी देकर उसके फाल्ट की जांच की जाती है. रबी फसलों की आपूर्ति बंद होने के बाद नहरों की मरम्मत कराई जाती है.