बेमौसम बारिश से रोहतास के किसानों की बढ़ी मुश्किलें, धान को पहुंच रहा भारी नुकसान

बेमौसम बारिश से धान के कटोरा कहे जाने वाले रोहतास जिले के किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. लगभग 6 महीने की कठिन परिश्रम के बाद तैयार धान की फसलों के मड़ाई के समय गुरुवार रात से हो रही बारिश होने से ठंड के मौसम में भी किसानों को पसीने छूटने लगे. रोहतास ही नहीं पुरे शाहाबाद क्षेत्र के किसानों की फसलें अभी भी खेत मे लगी है. पराली जलाने को लेकर हार्वेस्टर की रोक के कारण लगभग 60 प्रतिशत से ज्यादा फसल खेत में पड़ी है, जिससे किसान अब धान को निकालने में परेशान हैं.

खलिहान में रखे गए धान व बोझे भी पानी में डूबे हुए हैं. बारिश होने के कारण खेत में बचे धान की फसलों की अब कटाई में अब मुश्किलें आएँगी, जिससे धान काले होकर अंकुरित हो जाएंगे. इन्हीं समस्या को लेकर किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. अपनी पैदावार को बचाने के लिए किसान तिरपाल की मदद ले रहे, लेकिन तिरपाल से ढकने के बाद भी उनकी धान भीग चुकी हैं. जबकि खेतों से पानी निकासी की तैयारी किसान अपनी स्तर से कर रहे हैं.

रोहतास जिले के नोखा प्रखंड में खलिहान बारिश से भींगता धान

वहीं खरीफ विपणन मौसम 2019-20 के तहत धान खरीद के लिए घोषित तिथि के 30 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक धान खरीद की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. अधिकतर किसानों के धान कटने के बाद भी फसल खुले आसमान के निचे है. जो इस बारिश से पानी में डूब गए है. बता दें कि बारिश के कारण धान भी मानक के विपरीत होने पर क्रय केन्द्रों पर खरीद नहीं हो पाएगी. इसके लिए किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि प्रकृति के प्रकोप को देखते हुए मानकों में ढिलाई कर किसी तरह हम लोगों की धान खरीदारी की जाए.

बारिश में डूबा धान

रोहतास जिले के दिनारा प्रखंड के किसान वीर बहादुर सिंह कहते है कि बेमौसम हुई बारिश से खड़ी धान के फसलों को काफी नुक्सान हुआ है. वहीँ पक्की हुई फसलें खेतों में गिर पड़े हैं. किसानों को काफी आर्थिक छति पहुंची है. अभी प्रखंड में अस्सी प्रतिशत फसल कटाई करने को हैं. किसानों की फसल सड़ न जाए अब चिंता सता रही हैं. अभी भी रुक-रुक के बारिश हो ही रही है. इस समय किसानों की सबसे बड़ी समस्या गिरे हुए फसलों को खेतों में जमे पानी में सड़ने से बचाना है. उन्होंने कहा कि बारिश की मार झेल रहे किसानों को बिहार सरकार उचित मुआवजा दें, जिससे किसान आर्थिक नुक्सान की भरपाई कर सकें. साथ ही सरकार बचे हुए धान की खरीदारी अधिकतम कीमत पर करें.

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