कोरोना संकट के इस दौर में जब पूरे देश में लॉकडाउन है, लोग खुद को सुरक्षित रखने के लिए अपने घरों में कैद हैं. ऐसे में कई कोरोना वॉरियर्स हैं, जो इस मुश्किल घड़ी में भी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटते नजर नहीं आ रहे हैं. इनमें स्वास्थ्यकर्मी तो हैं ही जो लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में जुटे हुए हैं, इनके साथ-साथ कई पुलिसकर्मी भी हैं, जो लॉकडाउन के मद्देनजर अपनी भूमिका को निभा रहे हैं. ऐसे में अगर पुलिसकर्मी एक मां हो तो उसकी जिम्मेवारी कितनी बड़ी हो जाती है इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है.
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सासाराम के मुख्य सड़क के करगहर मोड़ पर ड्यूटी करने वाली पूजा कुमारी बिहार पुलिस की सिपाही हैं. वह प्रतिदिन इस कड़ी धूप में ड्यूटी करती हैं. लेकिन दिक्कत यह है कि पूजा का 11 माह का बच्चा है, जो ड्यूटी के समय भी इनके साथ रहता है. एक तरफ नौकरी की कर्तव्य परायणता तो दूसरी और मां की ममता. दोनों जिम्मेवारियों को वह बखूबी निभाती हैं.
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पूजा कहती हैं कि प्रतिदिन सड़कों पर 12 घंटे की ड्यूटी उनकी लगती है. इस दौरान छोटा बच्चा घर में बिलख जाता है. इसलिए उसे लेकर ही वे ड्यूटी पर आती हैं. ऐसे में बच्चे को गोद में लेकर ड्यूटी करनी पड़ती है. उनका कहना है कि उससे परेशानी तो है, लेकिन मां की ममता है कि बच्चे को छोड़ नहीं सकती.
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वहीं, बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने पूजा कुमारी की हौसला आफजाई की है. उन्होंने रोहतास में पदस्थापित महिला सिपाही पूजा को फोन कर हौसला अफजाई की है. डीजीपी ने अनुरोध किया है कि बच्चे को लेकर ड्यूटी न करो. वहीं, पूजा ने कहा कि घर में कोई सदस्य नहीं था, इसलिए बच्चे को संग लेकर ड्यूटी कर रही थी.
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ऐसे समय में जब हम आप इस बीमारी से बचने के लिए अपने अपने घरों में हैं. वैसे में पूजा कुमारी जैसी सैकड़ों माताएं अपने नन्हे मुन्ने बच्चों को छोड़कर या फिर उसे खुद गोद में लेकर कुछ इसी तरह ड्यूटी कर रही हैं. यही लोग सच्ची कोरोना योद्धा हैं.
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