पिछले दिनों डेहरी अनुमंडल क्षेत्र के नौहट्टा प्रखंड अंतर्गत कैमूर पहाड़ी पर बसे चुनहटा गांव में पेट दर्द व बुखार से चार किशोरों की मौत को ले गांव में स्वास्थ्य विभाग के टीम एवं अधिकारियों का आना-जाना लगा है. चार किशोरों की मौत की खबर पटना पहुंचते ही राज्य सरकार ने संज्ञान लेते हुए बिहार स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय अपर निदेशक डॉ. राजकिशोर चौधरी को नौहट्टा भेज दिया. डॉ. चौधरी बुधवार को रोहतास के कैमूर पहाड़ी स्थित चुनहट्टा गांव पहुंचे. इस संबंध में रोहतास सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि पटना से आए क्षेत्रीय अपर निदेशक ने गांव में फैली मलेरिया एवं अन्य बीमारी पर लोगों से मिली जानकारी और व्यवस्था का जायजा करते हुए सरकार को रिपोर्ट समर्पित करेंगे.
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सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि चुनहटा गांव के अलावा आसपास के सभी गांव में मलेरिया का प्रकोप ना बढ़े इसके लिए डीडीटी के छिड़काव का निर्देश मेडिकल टीम को दिया जा चुका है. मशीन से सभी गांव की गलियों एवं आसपास के खाली पड़े क्षेत्रों में डीडीटी का छिड़काव किया जा रहा है. मच्छरदानी वितरण का कार्य पूर्व में किया जा चुका है.
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सिविल सर्जन ने बताया कि चुनहटा गांव में डायरिया का केस नहीं मिला है. लेकिन वहां के लोगों के सर में दर्द, बुखार, उल्टी और पेट में दर्द का लक्षण मिला है. मलेरिया का लक्षण लगने के बाद 48 लोगों का मलेरिया जांच कराया गया. जिसमें 19 व्यक्ति पॉजिटिव पाए गए. उन्होंने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि 65 लोगों का जत्था चपरी में वन विभाग का काम करने गया था. उसमें 50 लोग चुनहटा के थे, जो अपने परिवार को लेकर गए थे, जिसमें बच्चे भी शामिल थे.
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मलेरिया जांच अभियान को तेज करने का दावा करते हुए सिविल सर्जन ने कहा कि कोविड-19 सहित अन्य सभी आवश्यक पैथोलॉजिकल जांच करने का निर्देश भी जारी है. उन्होंने बताया कि उस गांव में लोगों को मलेरिया बुखार की दवा दी गई है और ग्रामीणों को सुझाव दिया गया कि पानी गर्म करके पीएं. नदी, नाला, तालाब आदि का पानी पीने में उपयोग नहीं करें.
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बताते चलें कि कैमूर पहाड़ी के सभी गांव मलेरिया जोन माने जाते हैं, यहां अभी तक शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं हो सकी है. 2015 में भी बुधवा में मलेरिया से पांच लोगों की मौत हो गई थी. तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह के हस्तक्षेप के बाद मलेरिया टीम ने पहुंचकर लोगों का इलाज किया था. विडंबना यह कि यहां के कई ग्रामीण अभी भी बुखार होने पर भूत-प्रेत व झाड़-फूंक के चक्कर में समय से इलाज नहीं करा पाते हैं.
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