कैमूर पहाड़ी की गोद में बसे तिलौथू प्रखंड स्थित तुतला भवानी को वन विभाग द्वारा इको टूरिज्म के रूप में विकसित जा रहा है. तुतला भवानी धाम के रास्ते को सालों भर पैदल चलने लायक बनाया जा रहा है. इस दो किलोमीटर जंगल क्षेत्र में पैदल चलने का रोमांच ही अलग है. इस पर्यटन स्थल से दूर बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड, साइकिल व मोटरसाइकिल स्टैंड की भी व्यवस्था की गयी है. जबकि बुजुर्ग लोगों के लिए तुतला भवानी धाम से दो किलोमीटर दुरी तक बैटरी चलित रिक्शा चलाया जायेगा.
वहीं तुतला भवानी वाटरफॉल के ठीक नीचे अवस्थित मां तुतलेश्वरी मंदिर में जाने वाले सीढ़ियों एवं उसके शेड का निर्माण किया गया है. नदी पार कर सीढ़ियों तक पहुंचने के लिए बाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व के तर्ज पर झुला पथ बनकर तैयार हो गया है. लेकिन अभी इस झुला पथ पर सुरक्षा जांच एवं भीड़ नियंत्रण के नियम लागु होने बाद लोगों का आवागमन शुरू होगा.
इस झुला पथ की लम्बाई 110 मीटर है, जबकि चौड़ाई दो-डेढ मीटर. मालूम हो कि तुतला नदी के कटीले व नुकैले पत्थर से चोटिल होने का डर बना रहता है. कभी-कभार बूढ़े व बच्चे पत्थर से ठोकर खाकर गिर भी जाते थे. बारिश के दिनों में धाम तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है. नदी के पानी मे इतना धार होता है कि उसे पार करना बहुत मुश्किल हो जाता है. वैसे स्थिति में धाम पर जाने से रोक लगा दी जाती है. लेकिन, इस अब झुला पथ के निर्माण होने से यह समस्या नहीं रहेगी.
डीएफओ प्रद्युम्न गौरव ने बताया कि तुतला भवानी अति मनोरम प्राकृतिक रमणीक जगह है. इसे इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जा रहा है. जिससे पर्यावरण को नुकसान भी न हो और सारी सुविधाएं यहां उपलब्ध हों. तुतला भवानी धाम में सीढ़ी, नदी के ऊपर झुला पथ बनकर तैयार हो गया है, जल्द ही इस झुला पथ से लोगों का आवागमन शुरू किया जायेगा. साथ ही झरना में स्नान करने के बाद कपड़ा बदलने शेड भी बनाया जा रहा है. तुतला भवानी इको टूरिज्म से सुसज्जित होने के बाद और अधिक रमणिक स्थल हो जायेगा. साफ-सफाई नियमित रूप से हो, धारा प्रवाह जल दूषित न हो इस पर भी खास ध्यान दिया जायेगा.