संसद पहुंचा कैमूर वन्य क्षेत्र को राष्ट्रीय व्याघ्र अभयारण्य बनाने का मुद्दा

फाइल फोटो: रोहतास के कैमूर वन्यप्राणी अभयारण्य में बाघ

रोहतास और कैमूर वन प्रमंडल द्वारा लगातार वन्य-जीव और उसके संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों का सफल परिणाम सामने आया है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा गठित टीम के अध्यक्ष व भाजपा सांसद राजीव प्रताप रुडी ने संसद में कैमूर वन्य क्षेत्र को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग की है. उन्होंने बुधवार को संसद में कहा कि बिहार में वाल्मीकि राष्ट्रीय व्याघ्र अभयारण्य के अलावे एक और स्थान है कैमूर वन्यजीव अभयारण्य को भी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में विकसित किया जाना चाहिए. जो देश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व होगा. अभी हाल-फिलहाल कैमूर वन्य क्षेत्र में भी बाघ देखा गया है, यदि उसका भी विकास वाल्मीकि अभयारण्य की तरह किया जाता है तो यह पर्यावरण के साथ-साथ आर्थिक समृद्धि में भी मददगार होगा. 1100 वर्ग किलोमीटर में फैला कैमूर वन्य क्षेत्र झारखंड, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के जंगलों से मिलता है.

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उन्होंने आगे कहा कि आज भारत सरकार के प्रयास देश में बाघों की संख्या दो हजार से तीन हजार तक पहुंच चुकी है जो दुनिया के लिए एक मिसाल है. वाल्मीकि नगर टाइगर रिज़र्व में भी बाघों की संख्या बढ़ कर 41 तक पहुंच गया है. इसी प्रकार बिहार के कैमूर वन क्षेत्र में भी बाघ देखा गया है. सांसद ने बताया कि एकीकृत बिहार में वाल्मीकि नगर और पलामू दो टाईगर रिजर्व थे पर झारखंड के बिहार से अलग होने के बाद बिहार में सिर्फ एक राष्ट्रीय उद्यान वाल्मीकिनगर रह गया. उन्होंने कहा कि यदि कैमूर वन्य क्षेत्र को भी टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया जाय तो वो राज्य के हित में होगा. वहां भी पर्यटन की असीम संभावनाएं है.

सांसद रुडी ने बताया कि बिहार सरकार के अधिकारियों ने कैमूर को वाल्मीकिनगर टाईगर रिज़र्व के बाद राज्य के दूसरे बाघ अभयारण्य के लिए संभावित स्थल के रूप में पहचान की है. उन्होंने बताया कि बिहार का एकमात्र बाघ अभयारण्य वर्तमान में लगभग 50 बाघों का प्रबंधन करने की क्षमता रखता है. नये जनगणना के अनुसार, इस अभयारण्य में 40 से अधिक बाघ हैं जिनमें 31 वयस्क और 12 शावक शामिल हैं.

फाइल फोटो: कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी में मिला बाघ का पदमार्क

बता दें कि 1995 के बाद इसी साल के शुरुआत में रोहतास जिले के चेनारी के औरैंया, भुड़कुड़ा एवं दुर्गावती जलाशय वाले इलाके में कैमूर पहाड़ी पर नर बाघ के पदचिन्ह देखे गए थे. जिसके बाद डीएफओ प्रद्युम्न गौरव ने कैमूर पहाड़ी के जंगल में पहली बार ट्रैप कैमरे लगाए, जिसमें 26 मार्च 2020 को पहली बार विचरण करते हुए बाघ की तस्वीर कैद हुयी थीं. इसके बाद देश में बाघों का प्रबंधन देखने वाली राष्ट्रीय एजेंसी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी द्वारा कैमूर वन्य क्षेत्र में बाघ और वन्यजीव संरक्षण हेतु हाथ आगे बढ़ाया है. डीएफओ प्रद्युम्न गौरव ने बताया कि कैमूर वन्यप्राणी अभयारण्य में सुरक्षा बढ़ाई गयी है ताकि आने वाले दिनों में बाघ का स्थानीय पापुलेशन बन जाये. जिससे कैमूर वन्यप्राणी अभ्यारण टाइगर रिजर्व घोषित हो जाएगा.

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