रोहतास उद्योग समूह की सम्पति बिकी, रेल कारखाना लगाने की संभावना बढ़ी

डालमियानगर स्थित रेलवे द्वारा क्रय किए गए रोहतास उद्योग समूह के सम्पति कबाड़ के रूप में 94 करोड़ 40 लाख में बिके। ई टेंडर में एक दर्जन खरीदारों ने बोली लगाई। उम्मीद है कि कबाड़ के रूप में बेची गयी रोहतास उद्योग समूह की सम्पति हटने से अब रेल कारखाना लगाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। राइट्स के ग्रुप जीएम अनिल विज के मुताबिक कबाड़ के ई ऑक्सान में बढि़या रिस्पांस मिले हैं। 20 खरीदारों ने कबाड़ खरीदने को ले 10 करोड़ की अग्रिम राशि जमा की थी। जिन्होंने शुक्रवार को ई टेंडर में भाग लिया। जिसमें एक दर्जन खरीदारों ने बोली लगाई। 90 मिनट तक चले ई ऑक्सान में 90 करोड़ 40 लाख में कबाड़ की बिक्री हो गई।

स्थानीय सांसद व केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा के मुताबिक कबाड़ हटने के साथ यहां रेल कारखाना लगाने की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो जाएगी। सबसे पहले स्टील फाउंड्री साइट के कबाड़ हटाए जाएंगे। वहां रेल बैगन मरम्मत कारखाना स्थापित किया जाना है। इसके बाद हाई एक्सेल बैगन, कप्लर कारखाना व कार्यालय के भी निर्माण का बजटीय प्रावधान रेलवे ने किया है। साथ ही इसी परिसर में कारखाना में काम करने वाले रेल कर्मियों के आवास भी बनेंगे। सभी के प्राक्कलन भी तैयार हो गया है।

रोहतास उद्योग समूह (फाइल फोटो)

उन्होंने बताया कि रेल कारखाना लगाने को ले प्रतिमाह दिल्ली स्थित कार्यालय में राइट्स के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करते रहे हैं। इसी सप्ताह समीक्षा बैठक होगी। जिसमें तत्काल रेल बैगन मरम्मत कारखाना स्थापित होने वाले स्थल से कबाड़ हटाने की रणनीति बनाई जाएगी। रेल बैगन मरम्मत कारखाना के टेंडर निकलने पर चर्चा होगी। उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि कबाड़ हटाने का कार्य प्रारंभ होते नए रेल बैगन मरम्मत कारखाना का शिलान्यास कर कार्यारंभ कर दिया जाएगा।

उनके मुताबिक कबाड़ क्रय करने वाली कंपनी द्वारा उस साइट को सबसे पहले खाली कराया जाएगा, जहां पहला यूनिट लगना है। कबाड़ हटते रहेंगे व रेल कारखाना समेत आवासीय परिसर कार्यालय का निर्माण कार्य चलता रहेगा। सभी के डीपीआर तैयार हो गए हैं। रेल मंत्रालय ने इस वर्ष इसके लिए बजटीय प्रावधान भी कर दिया है।

फाइल फोटो

मालूम हो कि, रेलवे द्वारा क्रय किए गए रोहतास उद्योग समूह के 219 एकड़ क्षेत्र में फैले सीमेंट, कागज, वनस्पति, पावर प्लांट, स्टील फाउंड्री, वेलक्नाइज फाइवर, एसवेस्टस, मशीन शॉप, सेंट्रल स्टोर समेत सभी मशीन, रेलवे ट्रैक, पेड़ व स्ट्रेक्चर का ई टेंडर किया गया है। पुनर्निर्धारण के बाद 74 करोड़ दर निर्धारित की गई थी। रेलवे ने 2008 में इस बंद पड़े उद्योग को क्रय करने के बाद चढ्ढा एंड चढ्ढा ने इसके परिसम्पतियों का 129 करोड़ मूल्यांकन किया था।

रोहतास उद्योग समूह

129 करोड़ रुपये में कबाड़ बिक्री को ले रेलवे ने आधे दर्जन बार टेंडर निकला था, लेकिन उस दर पर कबाड़ खरीदने को कोई तैयार नही हुआ था। 23 जून 2017 को रेल मंत्रालय में आहूत बैठक में इसके कबाड़ की दर को पुन: मूल्यांकन कर टेंडर निकालने का निर्णय लिया गया था। साथ ही कबाड़ बेचने व यहां रेल कारखाना स्थापित करने की जिम्मेदारी राइट्स को सौंपी गई थी।

बता दें कि, 20वीं सदी में देश के तीसरे औद्योगिक नगर रहे डालमियानगर स्थित रोहतास उद्योग समूह के कारखाने, आवासीय परिसर व अन्य जमीन में से मशीनों के कबाड़ सहित 219 एकड़ कारखाना परिसर (141 करोड़ रुपये में), ग्रामीण क्षेत्र में स्थित करीब 500 एकड़ बांक फार्म (18 करोड़ रुपये में), करीब 80 एकड़ सूअरा हवाईअड्डा (17 करोड़ रुपये में), डालमियानगर आवासीय परिसर के 28 बंगले व क्वार्टर और डालटनगंज (झारखंड) की जमीन वर्ष 2000 के बाद मगर 20वीं सदी के पुराने बाजार भाव पर ही बेचे गए थे।

रेलवे द्वारा क्रय की गई रोहतास इंडस्ट्रीज में मौजूद मशीने (फाइल फोटो)

इन सब की बिक्री से प्राप्त राशि से स्थाई कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति, विभिन्न वित्तीय व सरकारी संस्थानों के कर्ज आदि करीब 250 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। रोहतास उद्योग समूह के स्थाई कर्मचारियों को 60 साल की उम्र पूरी होने तक पीएफ और वेतनमान के हिसाब से निर्धारित क्षतिपूर्ति करीब सौ करोड़ रुपये, विभिन्न वित्तीय संस्थान व सरकारी उपक्रमों के बकाए करीब सौ करोड़ रुपये और तालाबंदी के बाद कारखाना संचालन के लिए बिहार योजना मद से लिए गए कर्ज के 36 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here