रोहतास: पुल के पिलर से निकाले गए 12 वर्षीय बच्चे की मौत, पिलर को काट कर छेद बनाया, स्लैब को तोड़ा गया; 25 घंटे तक चले मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी नहीं बची जिंदगी

रोहतास जिले के नासरीगंज प्रखंड के अतिमि गांव के समीप नासरीगंज-दाउदनगर सोन पुल के दो पतले पिलरों के स्लैब के बीच फंसे 12 वर्षीय रंजन कुमार की रेस्क्यू के बाद मौत हो गई है. स्थानीय ग्रामीणों, प्रशासन, एसडीआरएफ व एनडीआरएफ के करीब 25 घंटे के ऑपरेशन के बाद उसे बाहर निकाला गया. बच्चे को गंभीर हालत में सदर अस्पताल सासाराम पहुंचाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

इसी के साथ बच्चे के परिजनों पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. दो दिनों से बेटे के दीदार को तरस रहे पिता भोला साह और मां रेशमा देवी की आंखों से जैसे आंसुओं का समुंद्र बहने लगा. विलाप करती हुई रेशमा देवी बोले जा रही है कि हमार बेटवा के मौत खींच के पुल पर ले गईल हो, लेकिन इसी बीच वह रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी होने का भी आरोप लगाए जा रही है.

जानकारी के मुताबिक, बुधवार सुबह करीब 11 बजे दो पिलर के बीच बच्चे फंसने की सूचना पर स्थानीय लोग वहां जमा हो गए. बच्चे के परिजन व स्थानीय लोगों एवं जनप्रतिनिधियों ने उसे निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. फिर स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई. जिसके बाद बुधवार रात से एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के 3 अफसर और 35 जवानों ने 25 घंटे तक रेस्क्यू चलाया गया. ऑपरेशन शुरू होते ही उसे पाइप से ऑक्सीजन दी गई. पहले पिलर में तीन फीट चौड़ा होल किया गया, लेकिन रेस्क्यू में फिर दिक्कत आ गई. फिर पोकलेन की मदद से पुल के स्लैब को तोड़कर शाम करीब पांच बजे बच्चे को निकाला गया. रेस्क्यू के बाद बच्चे को वहां से एम्बुलेंस के माध्यम से 40 किमी दूर स्थित सदर अस्पताल सासाराम में भर्ती ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

रंजन के पिता ने बताया कि उनके बेटे की मानसिक स्थिति थोड़ी ठीक नहीं थी. रंजन गत मंगलवार से घर से लापता था. वह पुल के पिलर के स्लैब में कब और कैसे फंसा? इसका कोई पता नहीं है. लोगों ने बताया कि रंजन पिलर के नीचे वाले भाग से ही चढ़कर उसपर पहुंचा होगा और गैप में गिरकर फंस गया. बुधवार सुबह करीब 11 बजे पुल के पास बैठी एक महिला ने बच्चे की रोने की आवाज सुनी तो देखा कि बच्चा पुल के स्लैब के बीच फंसा हुआ है. जिसके बाद यह बात पूरे गांव में आग की तरह फैल गई. जिसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ था.

राहत और बचाव कार्य में जुटे एनडीआरएफ के अधिकारी जयप्रकाश ने बताया कि जिस कंडीशन में बच्चा फंसा था, वो बहुत ही क्रिटिकल सिचुएशन थी. रेस्क्यू में सबसे बड़ी दिक्कत ये आ रही थी कि स्पेशल इक्युपमेंट का इस्तेमाल करने लायक कोई प्लेटफॉर्म नहीं बन पा रहा था. एसडीएम उपेंद्र पाल ने भी बता दिया था कि बच्चे की स्थिति सामान्य नहीं है.

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