रोहतास के 10 डॉक्टरों पर लटकी कार्रवाई की तलवार, वर्षों से ड्यूटी से गायब रहने पर नोटिस जारी

बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने रोहतास जिले के 10 चिकित्सा पदाधिकारी समेत राज्य के कुल 62 चिकित्सा पदाधिकारियों को कम से कम एक साल या उससे अधिक समय से अनधिकृत अवकाश पर रहने के लिए नोटिस जारी किया है. इस संबंध में विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों के ऐसे डॉक्टरों के नाम वाला एक नोटिस विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. विभाग ने सूची में शामिल राज्य के सभी 62 डॉक्टरों को 15 दिनों के भीतर उनकी अनधिकृत अनुपस्थिति के लिए स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने या सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है.

विभाग के संयुक्त सचिव सुधीर कुमार ने इन चिकित्सा पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए एक पखवाड़ा के अंदर अपना पक्ष रखने को कहा है. अन्यथा, उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जाएगी. जानकारी के मुताबिक रोहतास में सिविल सर्जन के रिपोर्ट पर विभाग ने पहले भी अनुपस्थित चलने वाले चिकित्सा पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण की मांग की जा चुकी है, परंतु उनके द्वारा न अभी तक कोई जवाब ही दिया गया है न योगदान कर ड्यूटी ही किया जा रहा है.

पूर्व में विभाग ने 2022 में 14 सितंबर तथा चार नवंबर को स्पष्टीकरण की मांग की थी. वहीं कुछ दिन पहले डीएम की अध्यक्षता में हुई जिला स्वास्थ्य टास्क फोर्स की बैठक में भी लंबे समय से अनुपस्थित रहने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई करने के लिए अनुशंसा प्रतिवेदन सौंपने का निर्देश सिविल सर्जन को दिया गया था. विभागीय सूत्रों की माने तो जो चिकित्सक लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे हैं, उनमें से कोई दूसरे विभाग में नौकरी कर रहा तो कोई नर्सिंग होम खोल अपनी सेवा दे रहा है.

विभाग द्वारा जारी लगातार अनुपस्थित रहने वाले चिकित्सा पदाधिकारियों की सूची में सदर अस्पताल सासाराम के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ ब्रजकिशोर प्रसाद, चिकित्सा पदाधिकारी सदर अस्पताल डॉ प्रियंका कुमारी, पैथोलॉजिस्ट सदर अस्पताल विनय कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी सीएचसी चेनारी डॉ बाल मुकुंद सिंह, चिकित्सा पदाधिकारी एपीएचसी कोआथ डॉ राज गौरव, चिकित्सा पदाधिकारी पीएचसी डेहरी डॉ सुधीर कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी एपीएचसी चवन डिहरी काराकाट डॉ प्रज्ञा, चिकित्सा पदाधिकारी एपीएचसी पैगा डॉ सिमरन, चिकित्सा पदाधिकारी एपीएचसी सुकहरा डिहरी डॉ उदय कुमार एवं चिकित्सा पदाधिकारी पीएचसी सासाराम डॉ विपिन कुमार सिन्हा शामिल हैं.

इधर, स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, ‘‘यदि निर्धारित समय के भीतर चिकित्सकों से कोई जवाब नहीं मिलता है, तो यह माना जाएगा कि उनके पास पेश करने के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं है. ऐसी स्थिति में विभाग के पास उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की शक्ति है.’’ उल्लेखनीय है कि पिछले जनवरी महीने में बिहार सरकार ने राज्य के विभिन्न जिलों और अस्पतालों में तैनात 64 चिकित्सकों को सेवा से पांच साल से अधिक समय से अनधिकृत अनुपस्थिति के लिए बर्खास्त कर दिया था.

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