सासाराम: अशोक के लघु शिलालेख का एएसआई पटना व साइंस ब्रांच की विशेषज्ञों की टीम ने किया निरीक्षण

सासाराम शहर से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर चंदन शहीद पहाड़ी पर स्थित 23 सौ साल प्राचीन अशोक के लघु शिलालेख को मूल स्वरूप में लाने की कवायद शुरू कर दी गई है. इसी के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पटना ब्रांच के विशेषज्ञों एवं विज्ञान शाखा की टीम ने शिलालेख का संयुक्त रूप से निरीक्षण किया.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) पटना परिक्षेत्र की अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. गौतमी भट्टाचार्य ने बताया कि 232 ई. ईसा पूर्व के अशोक शिलालेख में पुरातन ब्राह्मी लिपि में आठ पंक्तियां वर्णित की गई हैं. लघु शिलालेख का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है. पहाड़ी की कंदरा में स्थित शिलालेख के पास अवैध रूप से गेट लगा उसमें ताला लगा दिया गया था. अब जिला प्रशासन के मदद से शिलालेख के पास लगे गेट की चाभी एएसआई को मिल गई है. शिलालेख के प्रस्तावित रासायनिक संरक्षण के लिए विशेषज्ञों की टीम यहां पहुंची है.

बता दें कि ब्राह्मी लिपि में सम्राट अशोक द्वारा सामाजिक और धार्मिक सौहार्द के संदेश लिखे ऐसे शिलालेख मात्र आठ हैं और बिहार में एकमात्र. यह शिलालेख 2300 साल पुराना बताया जाता है. कंदरा के पास घेराबंदी कर उसमें लोहे का दरवाजा लगा ताला जड़ दिया गया था. काफी लंबे इंतजार के बाद शिलालेख को कैद से मुक्ति मिली है. इसके मूल स्वरुप में लौटने से आमलोगों को भी इसके बारे में जानकारियां मिल सकेंगी.

बताते हैं कि प्राचीन स्मारक रक्षण संबंधी 1951 के एक्ट 71 के अनुसार संरक्षित इस स्मारक को कोई व्यक्ति उसे किसी प्रकार का नष्ट करेगा या स्थांतरित करेगा, हानि पहुंचाएगा या परिवर्तित व विकृत करेगा तो, उसे एनिसिएंट मोनुमेंट प्रिजर्वेशन एक्ट सात वर्ष 1904 के तहत पांच हजार रुपये जुर्माना व तीन माह कारावास या दोनों का भागी होगा.

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