55.35 करोड़ की लागत से सासाराम सदर अस्पताल बनेगा मॉडल अस्पताल, बढ़ेंगी अत्याधुनिक सुविधाएं

सदर अस्पताल सासाराम को मॉडल अस्पताल के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू कर दी गई है. 55 करोड़ 35 लाख रूपये खर्च कर मॉडल बनाया जाएगा. यहां की स्वास्थ्य सेवाओं को हाईटेक बनाने के लिए प्रस्तावित विभिन्न यूनिटों को स्थापित करने का काम जल्द शुरू किया जाएगा. सदर अस्पताल को हाईटेक बनाने की दिशा में पहल करते हुए डीएम धर्मेंद्र कुमार ने सदर अस्पताल परिसर का निरीक्षण कर विभिन्न स्वास्थ्य यूनिटों के संभावित निर्माण स्थलों का अवलोकन किया. डीएम ने बताया कि सदर अस्पताल सासाराम को मॉडल अस्पताल के रूप में विकसित किया जायेगा, जो टेंडर प्रक्रिया में है और पांच माह में कार्य शुरू हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल हेतु 100 बेड का मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य (एमसीएच) सेंटर का निर्माण बिहार मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड कारपोरेशन लिमिटेड (बीएमसीआईएल) पटना द्वारा किया जाना है. जिसमें लगभग 21 करोड़ 81 लाख रुपये की लागत आएगी. इस कार्य को 15 दिनों के भीतर प्रारंभ कर दिये जाने हेतु निर्देशित किया गया है. साथ ही 10 बेड का पेडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) का भी निर्माण प्रस्तावित है जिसका निर्माण बीएमसीआईएल पटना द्वारा किया जाना है. जिसमें लगभग दो करोड़ रुपये की लागत आएगी. इस कार्य अगले 15 दिन में प्रारंभ कर दिया जाएगा. निरीक्षण के दौरान सिविल सर्जन, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, सदर अस्पताल के कार्यकारी उपाधीक्षक भी उपस्थित थे.

वहीं सदर अस्पताल सासाराम में निर्बाध रूप से ऑक्सीजन आपूर्ति हेतु ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट भी स्थापित कराया जा रहा है. इसके साथ अनुमंडलीय अस्पताल बिक्रमगंज तथा डेहरी में भी ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कराया जाना है. जिसको लेकर डीएम ने प्लांट बनाए जाने वाले स्थल का निरीक्षण किया. सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार के साथ डीएम ने जीएनएम स्कूल सह छात्रवास के अलावा परिसर में खाली पड़े अन्य जगहों का भौतिक रूप से निरीक्षण करते हुए सीएस से विचार विमर्श किया. इस दौरान डीएम सदर अस्पताल परिसर में बने क्वार्टट जो अब तक उपयोग में नहीं आ सके है उनके बारे में भी जानकारी ली. डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बने आवास को प्रयोग में लाने में आ रहे गतिरोध के बारे में भी जानकारी ली. निरीक्षण के दौरान डीएम ने सदर अस्पताल ओर ऑक्सीजन प्लांट को सुरक्षित रखने के लिए बाउंड्री निर्माण के बारे में भी विचार विमर्श किया. बताते चले कि जीएनएम छात्रवास और नए बने क्वार्टर के पीछे की बाउंड्री क्षतिग्रस्त होने के कारण पूरा परिसर असुरक्षित बना हुआ है. सारे तथ्यों से अवगत होने के बाद डीएम ने सीविल सर्जन को कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए.

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