कोरोना की दूसरी लहर की वजह से बिहार में कोरोना के मामले लगातर बढ़ते जा रहे हैं. इस लहर अब राज्य के कोरोना वारियर्स भी अब कोरोना की चपेट में आने लगे हैं. राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था के ये हाल है कि प्रशासन अपने ही कर्मचारियों को बेड नहीं दिला पा रहा है. दरअसल 58 वर्षीय दारोगा रामअधीन पासवान की कोरोना की वजह से मौत हो गई. बताया जा रहा है कि रामाधीन पासवान इन दिनों डेहरी-ऑन-सोन स्थित BMP-2 के वायरलेस सेक्शन में तैनात थे. मूल रूप से गया जिले के चाकंद चमंडी इलाके के रहने वाले थे.
पिता की मौत के बाद रोते-बिलखते उनके बेटे राजीव रंजन ने बताया कि उनके पिता की तबियत 20 अप्रैल को खराब हुई थी. खांसी होने के साथ ही सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी. तब उन्होंने RT-PCR टेस्ट करवाया था. पिछले सोमवार 26 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. उन्हें बेहतर इलाज चाहिए था, इसलिए पहले गया के मगध मेडिकल कॉलेज लेकर गए. वहां बेड खाली नहीं होने की बात कही गई. तब एक मई को पटना के IGIMS लेकर आए. मगर, यहां भी बेड नहीं मिला. पापा को जानने वाले एक दारोगा जी भी आए थे, उन्होंने भी अपनी तरफ से IGIMS में पैरवी की. मगर, कुछ हुआ नहीं. जिसके बाद पापा को लेकर वापस गया आए. फिर एक प्राइवेट हॉस्पिटल में उन्हें एडमिट कराया. जहां उनकी मौत हो गई.
बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह के अनुसार महामंत्री कपिलेश्वर पासवान ने खुद से बीमार दरोगा रामाधीन के बेहतर इलाज के लिए कॉल करके ADG वायरलेस और ADG मुख्यालय को कॉल कर मदद मांगी थी. पटना के बड़े सरकारी हॉस्पिटल में एडमिट कराने के लिए गुहार लगाई गई थी. लेकिन, अधिकारियों ने कोई मदद नहीं की. उनका कहना है कि कोविड के शिकार पुलिसवालों के लिए जिलों के पुलिस हॉस्पिटल में अलग से इलाज की व्यवस्था करने की मांग एसोसिएशन पहले ही कर चुका है. स्वास्थ्य मंत्री, प्रधान सचिव से लेकर डीजीपी तक को लेटर लिखा जा चुका है, पर किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
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